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प्यार हुआ चुपके से ( 4 )



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बहुत देर तक साइट पर भटकने के बाद भी उन दोनों को रहने के लिए कोई भी जगह नहीं मिली। थक हार कर दोनों एक जगह पर आ कर बैठ गई क्योंकि उनकी हालत बद से भी बद्तर हो चुकी थी। 

"पता नही किसकी मनहूस शक्ल देखकर घर से बाहर निकलें थे जो हमारे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा।" बहुत देर से फैले सन्नाटे को भंग करते हुए शिवी ने कहा।

"किसी की भी नही.....ये सब तेरी गलती है। मैंने तुझे पहले ही कहा था कि टाइम से चलते है पर तूने ही अजीबों गरीब बहाने बनाए......" आशी ने उसे घूरते हुए कहा।

"बस कर यार इतना गुस्सा क्यों हो रही है?" उसने दांत दिखाते हुए कहा।

"इतने देर से हम इस सड़क पर पड़ी हुई है और तू कह रही है कि गुस्सा कर रही हूं......मेरा मन तो कर रहा है कि.......... तेरा सिर ही फोड़ दूं।" आशी कुछ देर के लिए रूकी और फिर आगे बोली। "पता नही कब तक ऐसे ही पड़ा रहना होगा.......।" इतना कहते ही वह सिर पकड़कर कर बैठ गई।

"मै कोई जगह सोचती हूं....." शिवी ने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा।

"अभी तक तो तुम्हें कोई जगह नहीं मिली....अब कहां से मिल जाएगी।" आशी ने तंज कसते हुए कहा।

थोड़ी देर सोचने के बाद शिवी उछलते हुए बोली। "मिल गई जगह......!"

"कहां......." आशी ने उत्तेजित होते हुए पूछा।

"विशालाक्षी को जानती है?" शिवी ने सवालिया लहजे से पूछा।

"कौन विशालाक्षी ? मै किसी विशालाक्षी को नही जानती।" आशी ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया।

"अरे मेरी हॉस्टल वाली दोस्त।" शिवी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा।

"फिर भी मुझे इसके बारे में कुछ भी मालूम नही।" आशी ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा और फिर आगे बोली। "पर इसका हमारे रहने से क्या वास्ता है.....?"

"वास्ता है....."इतना कहते ही शिवी अपने फोन में नम्बर चेक करने लगी। कुछ देर से फोन में नम्बर चेक करने के बाद वह बोली। "मेरे पास उसका नंबर नही है।" इतना कहते ही शिवी ने बेकार सा मुंह बनाना शुरू कर दिया। आशी उसे कुछ कह पाती या फिर उसका सिर फोड़ पाती वह उस से पहले ही अपना फोन लेकर वहां से उठकर चली गई। आशी भी उसके पीछे जाना चाहती थी पर उसके लिए सामान का ध्यान रखना ज्यादा जरूरी था, यह सोच कर वह वही पर रुक गई।

लगभग पन्द्रह बीस मिनट बाद शिवी वापिस लौट आई। आशी उसे मारने के लिए उठने की वाली थीं कि उसके बोलने से पहले ही शिवी बोल पड़ी। "मुझे नम्बर मिल गया।"

"कैसे ?" आशी ने अजीब सा मुंह बनाया जिसे साफ पता चल रहा था कि उसे अभी भी उसकी बात पर यकीन नही हो रहा था।

"मुझे सच में मिल गया है..........। ऐसे मुंह मत बनाओ और उसका एड्रेस भी मिल गया है।" शिवी ने बच्चों की तरह मुंह बनाते हुए कहा।

"सच में........" आशी ने खुश होते हुए कहा और फिर आगे बोली। "पर कैसे मिला........?"

"वो क्या है कि विशालाक्षी की मम्मी हमारी दूर की रिलेटिव है और मम्मी की दोस्त भी। पहले मैने उनका नंबर मम्मी से पता नही क्या क्या बोल कर लिया क्योंकि मम्मी को ये भी नही बता सकती कि हम कैसे कैसे मुसीबत में फंस गई। फिर मैंने विशालाक्षी की मम्मी को कॉल की। फिर कुछ देर उनकी मखनबाजी की। जहां से मुझे उसका फोन नंबर और एड्रेस दोनों मिल गए।" शिवी ने यह बात बड़े गर्व के साथ कही।

"और विशालाक्षी तुम्हारी दोस्त कैसे बनी?" आशी ने किसी डिटेक्टिव की अपने एक भौंह तानते हुए पूछा।

"विशालाक्षी के पापा हमारे रिलेटिव्स में से आते है और उसकी मम्मी मेरी मम्मी की अच्छी दोस्त है। इस तरह से उन लोगों ने हम दोनों को एक साथ हॉस्टल में भेज दिया था जहां पर हम दोनों एक दूसरे की अच्छी दोस्त बन गई। 12th तक हम दोनों साथ रही। पर हॉस्टल से जाने के बाद हम दोनों नही मिल पाई।" इतना कहकर शिवी चुप हो गई।

"ओह तो ये बात है.....क्या फैमिली स्टोरी है।" इतना कहकर आशी हल्के से मुस्कुरा दी और फिर आगे बोली। "अब अपनी उस चहेती दोस्त को फोन लगाकर कर बताओ कि हम आ रही है।"

"ठीक है.....!" इतना कहने के बाद शिवी ने विशालाक्षी को कई बार कॉल की पर उसने एक बार भी कॉल रिसीव नहीं की। इसके बाद आशी तंज कसते हुए बोली। "ये है तेरी दोस्त..... " और इतना कहकर चुप हो गई। 

"अब हम दोनों वहां पर सीधा जाएंगी।" शिवी ने गुस्से में जवाब दिया।





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अयान पूरे घर में इधर से उधर घूम रहा था और जोर जोर से चिल्ला रहा था। "हर बार मैं ही खाना बनाता हूं, तू कभी भी खाना नही बनाती और जब बनाती भी है तो उसमें कभी नमक ज्यादा तो कभी मिर्च ज्यादा। आज तक कभी सब्जी में सही से नमक डाला भी है या नही.....?" अयान का एक एक शब्द ऐसा था जो किसी को भी गुस्सा दिला सकता था। 

"नही.....! मुझे खाना बनाना नही आता तो खुद बना लिया करो...." विशालाक्षी ने पलटवार किया। दोनों एक दूसरे की सुने बिना ही एक दूजे को सुनाए जा रहे थे।

बहुत देर तक दोनों बकबक करते रहे और कुछ देर बाद एक दूसरे की बक बक से परेशान हो कर दोनों ने अपने अपने कानों में रुई ठूस ली। इसके अलावा अपना फ़ोन स्विच ऑफ कर अपने अपने कमरों में जा कर लेट गए और लेटे लेटे दोनों की आंख लग गई। 

दो तीन घण्टे सोने के बाद आयान की आंख खुल गई। खाली पेट सोने की वजह से उसका पेट जोर जोर से आवाज कर रहा था। अपने पेट की आवाज को शांत करने के लिए वह बाजार जाने लगा पर जैसे ही उसने बाहर जाने के लिए दरवाजा खोला वैसे ही वह एक लड़की से टकराने से बाल बाल बच गया।

जैसे ही अयान ने उस लड़की की शक्ल देखी तो बस देखता ही रह गया। सोते वक्त उस लड़के के बाल उसके चेहरे पर आए हुए थे जिसकी वजह से वह बेहद ही मासूम लग रही थी। पर उसे देखते देखते वह खुद को संभाल नहीं पाया और लड़की के ऊपर बाल बाल गिरने से बच गया। पर इसी दौरान एक घटना घटित हो गई थी और वह थी उस लड़की की आंख खुलना। 

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लड़की की आंख खुलने के बाद क्या होगा?

जानिए अगले भाग में........

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8 Comments

Alfia alima

24-Aug-2022 08:32 PM

Bahut sundar rachna

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Achha likha hai aapne 🌺🙏

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इस भाग में भी गजब कॉमेडी थी।👌 मज़ेदार डायलॉग्स थे देखते है आगे क्या होगा। यह सस्पेंस कैसे खुलेगा?

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